हेल्लो दोस्तों आज में 12th फिजिक्स(Physics) का 1st chapter से कुछ important चीजें बताने जा रहा हूँ
12th Physics ka first chapter वैधुत आवेश तथा क्षेत्र है . इस chapter को शुरू करने से पहले में आपको बता दू कि इस में मैं आपको वैधुत आवेश (electric charge) के प्रकार और इसके बेसिक गुण के बारे मे बताउंगा.
1. धनात्मक आवेश
2. ऋणात्मक आवेश
12th Physics ka first chapter वैधुत आवेश तथा क्षेत्र है . इस chapter को शुरू करने से पहले में आपको बता दू कि इस में मैं आपको वैधुत आवेश (electric charge) के प्रकार और इसके बेसिक गुण के बारे मे बताउंगा.
12th physics electric charge and field in hindi |
Types Of Electric Charge
वैधुत आवेश (electric charge) 2 प्रकार के होते है-1. धनात्मक आवेश
2. ऋणात्मक आवेश
Unit Of Charge
आवेश का S.I. मात्रक कूलाम है इसे C से प्रकट करते है. कूलाम आवेश का सबसे बड़ा मात्रक है. कूलाम के स्थान पर एक अन्य सूक्ष्म मात्रक माइक्रो-कूलाम का उपयोग किया जाता है. इसे μC से प्रदर्शित किया जाता है.
1μC = 1e-6
एक इलेक्ट्रान पर -1.6⋅10-19 C आवेश तथा एक प्रोटोन पर 1.6⋅10-19 C आवेश होता है.
- सरल आवर्त्त गति (Simple Harmonic Motion)
Basic Properties Of Charge
विद्युत आवेश में निम्नलिखित गुण होते है-
1. आवेशों की योज्यता (Addition Of Charge)
विद्युत आवेश एक अदिश राशि है अतः हम आवेशों को अन्य अदिशों की तरह जोड़ सकते है.
- अदिश और सदिश राशियाँ (scalar and vector quantities)
2. विद्युत आवेश का क्वाण्टमीकरण (Quantization Of Electric Charge)
यदि हम किसी आवेश के परिणाम को लगातार कम करते जाये तो आवेश का एक ऐसा सूक्ष्मतम परिणाम प्राप्त होता है जिससे छोटे परिणाम के आवेश को प्राप्त नहीं कर किया जा सकता. आवेश के इस सूक्ष्मतम परिमाण को आवेश की मूल इकाई कहते है. इसे e से प्रदर्शित करते है.आवेश की यह मूल इकाई एक इलेक्ट्रान के आवेश के बराबर होती है.
e = 1e-6C
आवेश का आदान प्रदान सदैव मूल इकाई e के पूर्ण गुणजो के रूप में ही किया जाता सकता है. अतः वस्तु पर उपस्थित आवेश q को सदैव ne के रूप में व्यक्त किया जा सकता है जहां n कोई पूर्णांक है.
isliye वास्तु पर आवेश q=ne
3. आवेशों का संरक्षण (Conservation Of Charge)
यह गुण हमें यह बताता है कि आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नस्ट किया जा सकता है. किसी विलगित निकाय का कुल आवेश संरक्षित रहता है. जब दो आवेशित वस्तुओं को एक-दूसरे से स्पर्श कराकर अलग करते है तो उनके बीच आवेशों का पुनर्वितरण होता है, जिसके फलस्वरूप दोनों पर उपस्थित आवेश बदल जाते हैं परन्तु दोनों का कुल आवेश अपरिवर्तित रहता है.
स्पर्श करने के बाद निकाय का कुल आवेश = स्पर्श करने के पूर्व निकाय का कुल आवेश
Q1'+Q2' = Q1+Q2
कूलाम का नियम (Coulomb's Law)
कूलाम के नियमानुसार,"दो स्थिर बिंदू-आवेशों के मध्य लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल, दोनों आवेशों के बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है. इस बल की दिशा दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा की दिशा में होती है."
माना दो बिंदु आवेश Q1 व Q2 एक-दूसरे से r दूरी पर (वायु अथवा निर्वात में) स्थित हैं तो इनके मदगया लगने वाला विद्युत (आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण) बल,
F∝Q1.Q2 तथा F∝1/r2
F∝Q1.Q2/r2 अथवा F= k |Q1Q2|/r2
जहाँ k अनुक्रमानुपाती नियतांक है. k का मान आवेशों के बीच के माध्यम पर तथा आवेश, दूरी व बल के मात्रकों पर निर्भर करता है. यदि दोनों आवेश निर्वात में अथवा वायु में स्थित हों तो प्रयोग द्वारा k का मान 9.0ⅹ109N.m2/C2 प्राप्त होता है. अतः वायु अथवा निर्वात में स्थित दो बिन्दु आवेशोंके बीच लगने वाला बल
F=(9.0x109)|Q1Q2|/r2
यदि बिंदु-आवेश निर्वात अथवा वायु में स्तिथ हों तो k
को इस रूप में लिखा जाता है
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