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हैम्बर्ग (जर्मनी). जी20 समिट में हिस्सा लेने पहुंचे नरेंद्र मोदी शुक्रवार को BRICS देशों की ग्रुप मीटिंग में शामिल हुए। इस दौरान चीन के प्रेसिडेंट शी जिनपिंग और मोदी अनौपचारिक तौर पर मिले और हाथ मिलाया। फॉरेन मिनिस्ट्री ने इस मुलाकात की तस्वीर ट्वीट की। मीटिंग में जिनपिंग ने आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत इरादों की सराहना की। मोदी ने कहा, "BRICS को जिनपिंग की चेयरमैनशिप के दौरान एक सकारात्मक दिशा मिली है।" इससे पहले हैम्बर्ग में जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने मोदी का वेलकम किया। बता दें कि मोदी तीन दिन की इजरायल विजिट के बाद जर्मनी पहुंचे। BRICS मीटिंग में क्या बोले वर्ल्ड लीडर्स...
नरेंद्र मोदी
- "मैं प्रेसिडेंट शी जिनपिंग को 9th BRICS समिट से पहले शुभकामनाएं देता हूं। उनकी अध्यक्षता में BRICS को नई दिशा मिली है। हम सभी लोगों को मिलकर आतंकी पनाहगाहों और टेररफंडिंग के खिलाफ कदम उठाने चाहिए। जी20 में भी इस मसले पर बात होनी चाहिए। अब समय आ गया है, जब हमें आतंकवाद के खिलाफ मजबूत कदम उठाना चाहिए। जिनपिंग अध्यक्षता में BRICS के जुड़े हर मसले पर चीन को पूरा सहयोग करेंगे।"
शी जिनपिंग
- " मैं आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए भारत के मजबूत कदम और इरादों की सराहना करता हूं। BRICS को भारत की अध्यक्षता में नई दिशा मिली, उसकी भी तारीफ करता हूं।"
भारत ने कहा था- मीटिंग पहले से ही तय नहीं थी
- इससे पहले भारत ने कहा था कि जर्मनी के हैम्बर्ग में G-20 समिट से इतर नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की बाइलेटरल मीटिंग नहीं होगी।
- भारत ने कहा कि दोनों नेताओं का ऐसा कोई प्रोग्राम पहले से तय ही नहीं था और मोदी के शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
- भारत ने कहा कि दोनों नेताओं का ऐसा कोई प्रोग्राम पहले से तय ही नहीं था और मोदी के शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
चीन ने कहा था- मुलाकात के लिए माहौल ठीक नहीं
- चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के एक ऑफिशियल ने जर्मनी में मोदी और जिनपिंग की मुलाकात के सवाल पर गुरुवार को कहा, "माहौल ठीक नहीं है। लिहाजा, हैम्बर्ग में G-20 समिट के इतर मोदी और जिनपिंग बातचीत नहीं करेंगे।"
इन 8 देशों के साथ होगी बाइलेटरल मीटिंग: भारत
- भारत की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने कहा, "पीएम के शेड्यूल में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पीएम G-20 समिट के लिए हैम्बर्ग में 6 से 8 जुलाई तक मौजूद रहेंगे। समिट से इतर उनकी बाइलेटरल मीटिंग्स पहले से तय हैं। 8 देशों अर्जेंटीना, कनाडा, इटली, जापान, मैक्सिको, साउथ कोरिया, यूके और वियतनाम के नेताओं के साथ बाइलेटरल मीटिंग्स होंगी।" पीएम BRICS लीडर्स की मीटिंग्स में भी हिस्सा लेंगे। बता दें कि चीन और भारत के अलावा ब्राजील, रूस और साउथ अफ्रीका भी BRICS के मेंबर्स हैं। मोदी के साथ इजरायल गए एक भारतीय ऑफिशियल ने कहा, "हमने चीन से किसी मीटिंग के लिए पूछा ही नहीं, तो माहौल ठीक होने या ना होने का सवाल ही कहां उठता है।"
सिक्किम बॉर्डर को लेकर है तनाव
- दोनों देशों के बीच सिक्किम बॉर्डर पर विवाद चल रहा है। चीन ने भारत-भूटान बॉर्डर पर सड़क बनाने की कोशिश की थी। इसका भारत और भूटान दोनों ने विरोध किया। चीन की आर्मी ने तिब्बत में मिलिट्री एक्सरसाइज भी की है।
- सिक्किम के डोकालम इलाके में 19 दिन से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है। चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं।
- सिक्किम के डोकालम इलाके में 19 दिन से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। ये इलाका एक ट्राई जंक्शन (तीन देशों की सीमाएं मिलने वाली जगह) है। चीन यहां सड़क बनाना चाहता है, लेकिन भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं।
अभी क्यों शुरू हुआ विवाद?
1) पहली वजह: सिक्किम सेक्टर में चीन का सड़क बनाना
- चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में सड़क बना रहा है। इसी इलाके में चीन, सिक्किम और भूटान की सीमाएं मिलती हैं। भूटान और चीन इस इलाके पर दावा करते हैं। भारत इस विवाद पर भूटान का साथ देता है। भारत में यह इलाका डोकलाम और चीन में डोंगलाेंग कहलाता है।
- इसी इलाके में 20 km हिस्सा सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह ‘चिकेन नेक’ भी कहलाता है। चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा तो भारत की कनेक्टिविटी पर असर पड़ेगा। भारत के कई इलाके चीन की तोपों की रेंज में आ जाएंगे।
- दरअसल, सिक्किम का 16 मई 1975 को भारत में विलय हुआ था। पूर्वोत्तर से चीन की तरफ जाने वाला इकलौता रास्ता नाथू ला दर्रा सिक्किम में ही है।
- चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अपना बताता है।
- इसी इलाके में 20 km हिस्सा सिक्किम और पूर्वोत्तर राज्यों को भारत के बाकी हिस्से से जोड़ता है। यह ‘चिकेन नेक’ भी कहलाता है। चीन का इस इलाके में दखल बढ़ा तो भारत की कनेक्टिविटी पर असर पड़ेगा। भारत के कई इलाके चीन की तोपों की रेंज में आ जाएंगे।
- दरअसल, सिक्किम का 16 मई 1975 को भारत में विलय हुआ था। पूर्वोत्तर से चीन की तरफ जाने वाला इकलौता रास्ता नाथू ला दर्रा सिक्किम में ही है।
- चीन पहले तो सिक्किम को भारत का हिस्सा मानने से इनकार करता था। लेकिन 2003 में उसने सिक्किम को भारत के राज्य का दर्जा दे दिया। हालांकि, सिक्किम के कई इलाकों को वह अपना बताता है।
2) दूसरी वजह : चीन की घुसपैठ
- चीन की आर्मी ने हाल ही में सिक्किम सेक्टर में घुसने की कोशिश की और भारतीय जवानों से हाथापाई की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने हमारे 2 बंकर भी तोड़ दिए।
-यह घटना सिक्किम के डोका ला जनरल एरिया में लालटेन पोस्ट के पास हुई। भारतीय सैनिकों ने ह्यूमन चेन बनाकर चीनियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे धक्का-मुक्की करते रहे।
- भारत ने विरोध दर्ज कराया तो उल्टे चीन ने ही भारत पर घुसपैठ के आरोप लगा दिए।
- चीन की आर्मी ने हाल ही में सिक्किम सेक्टर में घुसने की कोशिश की और भारतीय जवानों से हाथापाई की। इस दौरान चीन के सैनिकों ने हमारे 2 बंकर भी तोड़ दिए।
-यह घटना सिक्किम के डोका ला जनरल एरिया में लालटेन पोस्ट के पास हुई। भारतीय सैनिकों ने ह्यूमन चेन बनाकर चीनियों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे धक्का-मुक्की करते रहे।
- भारत ने विरोध दर्ज कराया तो उल्टे चीन ने ही भारत पर घुसपैठ के आरोप लगा दिए।
3) तीसरी वजह : कैलाश मानसरोवर यात्रा
- चीन की तरफ से विवाद यहीं नहीं थमा। चीन ने कहा कि भारतीय सैनिक तुरंत पीछे हट जाएं। भविष्य में कैलाश मानसरोवर यात्रा जारी रखना इस बात पर निर्भर करेगा कि भारत इस टकराव का हल कैसे निकालता है?
- सीमा पर तनाव के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए चीन ने बंद कर दिया। इसके बाद भारत ने इस रूट से यात्रा रद्द कर दी।
- सीमा पर तनाव के चलते नाथू ला दर्रे से कैलाश मानसरोवर जाने वाले रास्ते को भारतीय श्रद्धालुओं के लिए चीन ने बंद कर दिया। इसके बाद भारत ने इस रूट से यात्रा रद्द कर दी।
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